Thursday, May 8, 2008

कीसी को इतना याद न कर

कीसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये

कीसी को इतना अपना न बना
की उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे

कीसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रंगीली लगे
आंख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बीखरनेे लगे

कीसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे
आंख नम हो जाये
उसे गर मीले एक दर्द
इधर जींदगी के दो पल कम हो जाये

कीसी के बारे मे इतना न सोच
की सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये

कीसी को इतना याद न कर
कीसी जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जींदगी पीछे छूट जाये

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