Thursday, May 8, 2008

जींदगी के लीये वक्त नही

हर खुशी है लोगो के दामन मै,
पर एक हंसी के
लीये वक्त नही|
ि
रात दौडती दुनीया मै,
जींदगी के लीये वक्त नही|

मा की लोरी का एह्सास तो है,
पर मा को मा कहेने का वक्त नही|
सारे रीश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफनाने का भी वक्त नही|

सारे नाम मोबाईल मे है,
पर दोस्ती के
लीये वक्त नही|
गैरो की क्या बात करे,
जब अपनो के लीये ही वक्त नही|

आंखो मे है नींद बडी,
पर सोने के लीये वक्त नही|
दील है गम से भरा हुआ,
पर रोने के लीये वक्त नही|

पैसो की दौड मे ऐसे दौडे,
की थकने भी वक्त नही|
पराये एह्सास की क्या कदर करे,
जब अपने सपनो के
लीये वक्त नही|

तु ही बता
जींदगी,
ईस
जींदगी क्य होगा|
की हर पल मरने वालो को,
जीने के लीये भी वक्त नही........




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