Monday, September 17, 2018

મૃત્યુ મોટી થાય છે

દરેક શ્વાસ સાથે મૃત્યુ મોટી થાય છે
રસ રસ્તામાં રાખ, મંજીલ ક્યાં ભાગી જાય છે
ગંગોત્રી મટી જાશે ને થાશે ગંગા-સાગર
મંજીલ પર આમ પણ, શ્વાસ થંભી જાય છે

હેમુ બુદ્ધુ 

Sunday, September 16, 2018

કોણ છું હું?

તમને જે દેખાવ છું, એજ છું હું
મને ના પૂછો, કે કોણ છું હું?

હેમુ બુદ્ધુ 

Thursday, August 23, 2018

Indefinite

धर्म : अपने को बदलते रहना, अपनी गलती को देखना
अधर्म : दूसरे को बदलना, दूसरे की गलती को माफ न करना

अर्थ : धर्म का पालन ही अर्थ है
अनर्थ : धर्म के विपरीत अर्जित धन अनर्थ है

विद्या : सा विद्या या विमुक्तये, विद्या मुक्ति नहीं देती, पर जो मुक्ति दिलाये वही विद्या है| तेरा और मेरे का भेद मिटा दे वही विद्या है| बड़े और छोटे का अंतर मिटा दे वही विद्या है| पत्थर में परमात्मा दिखा दे वही विद्या है|

आस्तिक : निसर्ग में जो भी हो रहा है उसका सामान्य भाव से स्वीकार करना आस्तिकता है| पत्थर को "ही" नहीं पत्थर को "भी" परमात्मा माने वही सच्चा आस्तिक है|

प्रार्थना : उसने जो भी दिया है, उसके लिए सच्चे दिल से उसका धन्यवाद करना ही प्रार्थना है |

હેમુ બુદ્ધુ 

Thursday, August 16, 2018

Agar hai shauk milne ka...

अगर है शौक मिलने का तो हर दम लो लगता जा ,
जला कर खुदनुमाई को , भसम तन पर लगाता जा ,

पकड़ कर इश्क़ की झाड़ू , सफा कर हिज्र -ए -दिल  को ,
दुई की धूल को ले कर ,मुसल्लेह पे उडाता जा ,

मुसल्लेह छोड़ , तस्बीह तोड़ , किताबें डाल पानी में ,
पकड़ तू दस्त मुर्शिद का, गुलाम उनका कहाता जा ,

न मर भूखा , न रख रोज़े , ना जा मस्जिद , ना कर सजदा ,
वज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब -ए -शौक पीता जा ,

हमेशा खा , हमेशा पी , ना गफलत से रहो एकदम ,
नशे में सैर कर , अपनी खुदी को तू जलाता जा ,

ना मुल्ला हो , ना हो ब्राह्मण , दुई की छोड़ के पूजा ,
हुकुम है शाह -कलंदर का , अनल -हक़ तू कहाता जा ,

कहे मंसूर मस्ताना , मैंने हक़ -ए - दिल में पहचाना ,
वही मस्तों का मयखाना , उसी के बीच आता जा।

Miya Mir