Thursday, August 23, 2018

Indefinite

धर्म : अपने को बदलते रहना, अपनी गलती को देखना
अधर्म : दूसरे को बदलना, दूसरे की गलती को माफ न करना

अर्थ : धर्म का पालन ही अर्थ है
अनर्थ : धर्म के विपरीत अर्जित धन अनर्थ है

विद्या : सा विद्या या विमुक्तये, विद्या मुक्ति नहीं देती, पर जो मुक्ति दिलाये वही विद्या है| तेरा और मेरे का भेद मिटा दे वही विद्या है| बड़े और छोटे का अंतर मिटा दे वही विद्या है| पत्थर में परमात्मा दिखा दे वही विद्या है|

आस्तिक : निसर्ग में जो भी हो रहा है उसका सामान्य भाव से स्वीकार करना आस्तिकता है| पत्थर को "ही" नहीं पत्थर को "भी" परमात्मा माने वही सच्चा आस्तिक है|

प्रार्थना : उसने जो भी दिया है, उसके लिए सच्चे दिल से उसका धन्यवाद करना ही प्रार्थना है |

હેમુ બુદ્ધુ 

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