Sunday, November 24, 2019

सपनों से भरे नैना



बगिया बगिया बालक भागे

तितली फिर भी हाथ न लागे
इस पगले को कौन बताये
ढूँढ रहा है जो तू जग में
कोई जो पाए तो मन में पाए
सपनों से भरे नैना
तो नींद है न चैना

ऐसी डगर कोई अगर जो अपनाए
हर राह के वो अंत पे रास्ता ही पाए
धूप का रास्ता जो पैर जलाये
मोड़ तो आये छाँव न आये
राही जो चलता है चलता ही जाए
कोई नहीं है जो कहीं उसे समझाए
सपनों से भरे...

दूर ही से सागर जिसे हर कोई माने
पानी है वो या रेत है यह कौन जाने
जैसे के दिन से रैन अलग है
सुख है अलग और चैन अलग है
पर जो यह देखे वो नैना अलग है
चैन है तो अपना सुख है पराये
सपनों से भरे..

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