Wednesday, March 27, 2019

Doori



कहने को हम पास है पर
कितनी दूरी है
ये भी कैसी मज़बूरी है
तुमसे हमदर्दी भी
नहीं कर सकता मैं
मेरे बस की बात नहीं है
मैं ये बहते आंसू पोंछू
उतनी मेरी औकात नहीं है
मै भी यहीं हूँ
तुम भी यहीं हो
पर सच ये है
मैं हूं कहीं
तुम और कहीं
कहने को हम पास है पर
कितनी दूरी है
ये भी कैसी मज़बूरी है

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